Onion (pyaaz) ki kheti kaise karen 2023 informative
Onion (pyaaz) ki kheti kaise karen
Onion (pyaaz) ki kheti kaise karen
प्याज़ की खेती कैसे करें :-
मौसम और ज़मीन कैसा होना चाहिए :-प्याज़ को काफी मौसम मैं पैदा किया जा सकता है। लेकिन ज्यादा गर्मी ,ज्यादा सर्दी और ज्यादा बारिश इसके लिए सही नहीं होती है। ज्यादा ठंड के कारण प्याज ज्यादा निस्रता है। ज्यादा गर्मी मैं इसका अकार छोटा रह जाता है। रेतली मेरा ज़मीन ,पानी की निकासी वाली ,बीमारी और नदीन खरपतवार मुक्त ज़मीन होनी चाहिए।
सावन की प्याज़ की किस्मे :-
अग्रिफोड डार्क रेड :-
इसके बूटे मध्यम और हलके हरे रंग के होते हैं। प्याज़ का रंग पुरे लाल और मद्धम अकार के होते हैं। इसकी फसल करीब 120 क़्वींटल प्रति एकर होती है।
N 53 प्याज़ :-
ये प्याज़ बहुत सुन्दर और मधयम अकार के होते हैं। ये किस्म 150 – 165 दिन मैं तैयार हो जाते हैं।
इसकी फसल करीब 150 क़्वींटल प्रति एकर होती है।
बिजाई :- एक एकर के लिए पांच किलो बीज काफी है। पौध तैयार करने के लिए बिजाई मार्च मैं करनी चाइये।
पौध तैयार करने की विधि :- पौध बीजने के लिए ज़मीन से बीस सेंटीमीटर उची और एक से डेढ़ मीटर चौड़ाई वाली बेड बनाये। और पौध की अनुपात 1:20 रखें अगर आप एक एकर मैं पौध बीजें तो उसको बीस एकर मैं लगा सकते हैं। पौध की जगह मैं पचीस वर्ग मीटर मैं एक क़्वेंटल गोबर की खाद डालें (जो अच्छे से तैयार हो ) .बीज को तीन ग्राम थीरम या कप्तान प्रति किलो बीज के हिसाब से धो लें। बीज को दो सेंटीमीटर नीचे और पांच सेंटीमीटर की कतार से बीजें। बिजाई के तुरंत बाद फुहारे से सुबह शाम को पानी दें। ज्यादा धुप मैं उसको धक दे। आप एक मीटर ऊँचा छाता भी बना सकते हैं. जब पौध मज़बूत हो जाये तो इसे उतार दें।
खाद :- प्याज़ के लिए बीस टन देसी खाद प्रति एकर और चालीस किलो न्यट्रोजन , 90 किलो यूरिया , बीस किलो फ़ॉस्फ़ोरस , एक सो पचीस किलो सुपर फास्फेट , बीस किलो पोटास। देसी खाद फ़ॉस्फ़ोरस और पोटाश पूरी मात्र मैं डालें लेकिन णिट्रोजन वाली खाद अधि पौध लगाने से पहले और बाकि अधि णिट्रोजन पौध लगाने के चार हफ्ते बाद छींटे से डालें।
पौध को उखड के खेत मैं लगाना :-
छह से आठ हफ्ते मैं पौध तैयार हो जाती है। इसको अगस्त के पहले हफ्ते मैं लगा देना चाहिए। लाइन मैं फासला पंद्रह सेंटीमीटर और पौध से पौध का फासला सात सेंटीमीटर रखें। पौध हमेश शाम को लगाएं। और तुरंत बाद पानी दें।
और ये दिसंबर मैं तैयार हो जाती है। इस फसल को कीड़ा और बीमारी नहीं लगती।
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