Anaar ki Kheti Pomegranate farming hindi informative 4 horticulturist
Anaar ki Kheti Pomegranate farming
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अनार की खेती कैसे करें ?
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अनार की खेती के लिए मौसम खुश्क गर्मी और सर्दी अच्छी रहती है। अनार के लिए मैंरा मिट्टी अच्छी रहती है। मध्यम और हल्की काली मिट्टी भी अच्छी होती है। अनार खारी और सिल्ली ज़मीन मैं भी हो सकता है। ये पौध सदाबहार होता है।
अनार की उन्नत किस्में :-
गणेश अनार :-इस किस्म के बूटे सदैव हरे रहते हैं। झाड़ीदार होते हैं और जल्दी फल देते हैं। फल दरमियाने अकार के होते हैं। छिलका पीला और गुलाबी रंग का होता है। दाने गुलाबी और सफ़ेद रंग के होते हैं। बीज खाने में नरम और मीठे होते हैं। मीठे की मात्र तेरह प्रतिशत होती है। और खटास आधा प्रतिशत। ये मध्य अगस्त में पक जाता है। इसकी पैदवाद छेह से सात तन प्रति एकर होती है।
कंधारी अनार :- इसके पत्ते झड़ जाते हैं और पौधे भरवे होते हैं। और सीधे होते हैं। ये किस्म हर साल फसल देती है। इनका झाड़ माध्यम होता है। इसके बीज दरमियाने और सख्त होते हैं। इनमे बारह प्रतिशत मिठास और 0.65 % खटास होती है। ये एक एकर में चार से पांच टन होती है। अच्छे अकार के फल प्रपात करने के लिए तुड़वाई अप्रैल के लास्ट मैं करनी चाहिए।
अनार के बूटे दसमबर में कलमो से तैयार होते हैं अच्छे नतीजे के लिए कलमो को एक सो पी पी एम आई बी ए के घोल से चौबीस घंटे के लिए डुबो के लगाए।
बूटे लगाने का समय :-
नवंबर दसमबर में एक मीटर व्यास के खड्डे में देसी खाद मिला कर भरे। गणेश किस्म तीन बाई तीन मीटर और कंधारी चार बाई चार मीटर की दूरी पर लगाए।
सुधार और काट छांट :- तीस सेंटीमीटर तक एक तना ही रखें। मैन शाखाएं धरती को नहीं लगनी चाहिए। सुखी हुई और बीमारी युक्त टहनी को काटना चाहिए और तने से निकले पदसुए भी काटने चाहिए।
अनार के लिए खादें :-
एक साल की उम्र के हिसाब पर हर बूटे को पांच छेह किलो देसी खाद दिसंबर में डाले। इस तरह से बीस ग्राम नाइट्रोजन प्रति बूटा प्रति साल के हिसाब से दो बराबर हिस्सों में डालें एक हिस्सा मार्च और दूसरा अप्रैल में डाले।
अनार की सिंचाई :- सर्दिओ में लम्बे समय तक खुश्क मौसम दैरान पानी लगाना चाहिए। जब की गर्मिओं में दस पंद्रह दिनों बाद पनि लगाए।
पौध सुरक्षा :-
कीट :- तेला ये पत्तों को फूलों को और फलों का रस चूस लेता है। हमले वाले हिस्से बेढंगी शकल के हो जाते हैं। इसके काटने से फल उल्ली से भर जाते हैं। इस से पत्तों की खुराक पैदा करने की शक्ति कम हो जाती है। इसको रोकने के लिए उपयुक्त दवाइओं का इस्तेमाल करना चाहिए जो मनुष्य के लिए खतरनाक न हो।
फल छेदक सुंडी :- ये मादा फूलों और फलों में अंडे देता है और फल और फूलों का गुद्दा खा जाती है। इसका हमला ज्यादा मई जून में होता है।
काले धब्बे और फल का गलना :- ये बीमारी बेक्टिरिा से होती है। काले धब्बे फलों पर आ जाते हईं। इसका फैलाव नमि के बढ़ने से होता है।
Note
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