Termite control
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दीमक प्रबंधन के उपाय
किसान फसलें उगाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन तमाम तरह के कीट , फसलों को चट कर जाते हैं। वैज्ञानिक विधि अपनाकर कीटनाशकों के बिना ही इनका नियंत्रण किया जा सकता है। इससे कीटनाशकों पर उनका खर्चघटेगा। खेत की मिट्टी से ज्यादा पैदावार पाने के लिए किसानों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। फसलें उगाने में उन्हें काफी पैसे भी खर्च करना पड़ता है। लेकिन मिटट्ी में पनपने वाले कीड़े-मकोड़े जैसे दीमक आदि फसलों को चट कर जाते हैं। इन कीटों से फसलों को सुरक्षित रखने के लिए भी कीटनाशकों पर किसानों को काफी खर्च करना पड़ता है। फसलें और कीट नियंत्रण के लिए वैज्ञनिक विधि अपनाकर किसान कीट नियंत्रण ज्यादा प्रभावी तरीके से कर सकते हैं।
कीटों का फसलों पर असर :
दीमक पोलीफेगस कीट होता है ,यह सभी फसलो को बर्बाद करता है | भारत में फसलों को करीबन 45 % से ज्यादा नुकसान दीमक से होता है। वैज्ञनिकों के अनुसार दीमक कई प्रकार की होती हैं। दीमक भूमि के अंदर अंकुरित पौधों को चट कर जाती हैं। कीट जमीन में सुरंग बनाकर पौधों की जड़ों को खाते हैं। प्रकोप अधिक होने पर ये तने को भी खाते हैं। इस कीट का वयस्क मोटा होता है, जो धूसर भूर रंग का होता है और इसकी लंबाई करीब भ्.भ्म् मिलीमीटर होती है। इस कीट की सूड़ियां मिटट्ी की बनी दरारों अथवा गिरी हुई पत्तियों के नीचे छिपी रहती हैं।
रात के समय निकलकर पौधो की पत्तियों या मुलायम तनों को काटकर गिरा देती है। आलू के अलावा टमाटर, मिर्च, बैंगन, फूल गोभी, पत्ता गोभी, सरसों, राई, मूली,गेहू आदि फसलो को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। इस कीट के नियंत्रण के लिए समेकित कीट प्रबंधन को अपनाना जरूरी है।
दीमक की रोकथाम :
दीमक से बचाव के लिए खेत में कभी भी कच्ची गोबर नहीं डालनी चाहिए। कच्ची गोबर दीमक का प्रिय भोजन होता है | इन कीटों के नियंत्रण के लिए
बीजों को बिवेरिया बेसियाना फफुद नासक से उपचारित किया जाना चाहिए। एक किलो बीजों को 20 ग्राम बिवेरिया बेसियाना फफुद नासक से उपचारित करके बोनी चाहिए
2 किग्रा सुखी नीम की बीज को कूटकर बुआइ से पहले 1 एकड़ खेत में डालना चिहिए
नीम केक 30 किग्रा /एकड़ में बुआइ से पहले खेत में डालना चिहिए
1 किग्रा बिवेरिया बेसियाना फफुद नासक और 25 किग्रा गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर बुआइ से पहले खेत में डालना चिहिए
1 किग्रा/एकड़ बिवेरिया बेसियाना फफुद नासक को आवश्यकतानुसार पानी में घोलकर मटके में भरकर ,निचले हिस्से में छिद्र करके सिचाई के समय देना चाहिए
दीमक नियंत्रण के देशी उपाय/ किसानो द्वारा प्रयोग के आधार पर /प्रयोग का
परिणाम :
मक्का के भुट्टे से दाना निकलने के बाद, जो गिण्डीयॉ बचती है, उन्हे एक मिट्टी के घड़े में इक्टठा करके घड़े को खेत में इस प्रकार गाढ़े कि घड़े का मुॅह जमीन से कुछ बाहर निकला हो। घड़े के ऊपर कपड़ा बांध दे तथा उसमें पानी भर दें। कुछ दिनाेंं में ही आप देखेगें कि घड़े में दीमक भर गई है। इसके उपरांत घड़े को बाहर निकालकर गरम कर लें ताकि दीमक समाप्त हो जावे। इस प्रकार के घड़े को खेत में 100-100 मीटर की दूरी पर गड़ाएॅ तथा करीब 5 बार गिण्डीयॉ बदलकर यह क्रिया दोहराएं। खेत में दीमक समाप्त हो जावेगी।
सुपारी के आकार की हींग एक कपड़े में लपेटकर तथा पत्थर में बांधकर खेत की ओर बहने वाली पानी की नाली में रख दें। उससे दीमक तथा उगरा रोग नष्ट हो जावेगा।
एक किग्रा निरमा सर्फ़ को 50 किग्रा बीज में मिलाकर बुआइ करने से दीमक से बचाव होता है
जला हुआ मोबिल तेल को सिचाई से समय खेत की ओर बहने वाली पानी की नाली से देने से दीमक से बचाव होता है
एक मिटटी के घड़े में 2 किग्रा कच्ची गोबर + १०० ग्राम गुड को 3 लीटर पानी में घोलकर ,जहा दीमक का समाश्या हो वहां पर इस प्रकार गाढ़े कि घड़े का मुॅह जमीन से कुछ बाहर निकला हो। घड़े के ऊपर कपड़ा बांध दे तथा उसमें पानी भर दें। कुछ दिनाेंं में ही आप देखेगें कि घड़े में दीमक भर गई है, इसके उपरांत घड़े को बाहर निकालकर गरम कर लें ताकि दीमक समाप्त हो जावे। इस प्रकार के घड़े को खेत में 100-100 मीटर की दूरी पर गड़ाएॅ तथा करीब 5 बार गिण्डीयॉ बदलकर यह क्रिया दोहराएं। खेत में दीमक समाप्त हो जावेगी।
जैविक पध्दति द्वारा जैविक कीट एवं व्याधि नियंत्रण के कृषकों के अनुभव :-
जैविक कीट एवं व्याधि नियंजक के नुस्खे विभिन्न कृषकों के अनुभव के आधार पर तैयार कर प्रयोग किये गये हैं, जो कि इस प्रकार हैं-
गौ-मूत्
गौमूत्र, कांच की शीशी में भरकर धूप में रख सकते हैं। जितना पुराना गौमूत्र होगा उतना अधिक असरकारी होगा । 12-15 मि.मी. गौमूत्र प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रेयर पंप से फसलों में बुआई के 15 दिन बाद, प्रत्येक 10 दिवस में छिड़काव करने से फसलों में रोग एवं कीड़ों में प्रतिरोधी क्षमता विकसित होती है जिससे प्रकोप की संभावना कम रहती है।
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