Sugarcane Farming
गन्ने की बिजाई :-हमारे से जुड़े रहने के लिए व्हाट्सप्प नंबर 9814388969 सेव करके अपना पूरा नाम और पता भेजें जिस से आपको पूर्ण जानकारी मिलती रहेगी आपके सुझाव हमारे लिए बहुत जरूरी हैं सुझाव जरूर देना
गन्ने की बिजाई आठ फुट बाई चार फुट की तकनीक से पतझड़ में (अगस्त -समबर में ) होती है। ये विधि बहुत ही आसान , सस्ती और जियादा पैदावार देने वाली होती है। ये विधि कुदरती स्रोत भी बचाती है। और खेती का प्रदूषण भी कम होता है। इस विधि से कम रसायन लगा कर भी अच्छी पैदावार ले सकते हैं। इस विधि से फसल की पैदावार और गुणवत्ता में भी इज़ाफ़ा होता है। ये विगियनिक और आर्गेनिक कुदरती दोनों पर ही लागू होता है। लेकिन ये जरूरी है की निम्नलिखत बातों का धियान रखा जाये।
गन्ने की बिजाई का समय :- पंद्रह अगस्त से पंद्रह सितम्बर।
खेत की तैयारी और खाद की मात्रा :- खेत को तैयार करने के लिए बिजाई से पंद्रह दिन पहले आठ टन गोबर खाद,या प्रेस मड डालें प्रति एकड़ डालें। फसल बीजने से पहले एक थैला DAP का डालें और इसके बाद बेड बनाए। गन्ने की फसल में बिजाई के बाद कुल दो थैले यूरिया के डालें .
आधा थैला पेंतालिस दिन बाद
आधा उसके तीस दिन बाद
आधा फरबरी में
बाकि बचा अप्रैल में डालें
पोटास मिट्टी की परख के हिसाब से डाले। गन्ने की फसल में जो अंतराल फसल बीजते हो तो समय समय पर हमारे से कांटेक्ट करते रहे।
खेत का लेवल करना :- खेत को अच्छे से लेज़र लेवलर या और किसी चीज से बिलकुल समतल बनाए। इस से फसल में इक्सार्ता आती है।
लाइन से लाइन की दूरी :- गन्ने की बिजाई हर दुसरे बेड पे की जाये जिसमे लाइन से लाइन का फैसला आठ फुट रहे।
बेड की दिशा :- बेड की दिशा पूरब पश्चिम (east -west ) होनी चाहिए।
गन्ने की पोरी (टुकड़े करना ):- एक पोरी जिसकी लम्बाई चार से आठ इंच होती है उसको आँख से एक इंच नीचे से काटना चाहिए निचे दी गई फोटो को धियान से देखें।
गन्ने के बीज का शुद्धिकरण ( बीज शोध ):- गन्ने के बीज को रोग मुक्त करने के लिए। बीज अमृत से शोधें। या फिर 125 gram Amisan -6 या Begalol -6 से 50 लीटर पानी से प्रति एकड़ के हिसाब से शोध करें।
अगर दीमक और अगेती कीट से बचाना है तो दो लीटर क्लोरोपैरीफास बीस ई सी को चार सो किलो पानी में मिला कर सरे खेत में स्प्रे करें।
बीज लगने का ढंग :- बीज को हमेशा खड़ा ही लगाए जैसे फोटो में दिया गया है। ये वो स्थिति है जो कुदरत ने गन्ने को दी है। गन्ने के टुकड़े को दो इंच ज़मीन में दक्षिण दिशा में लगाए।
गन्ने के टुकड़े से टुकड़े का फासला चार फुट होना चाहिए।
टुकड़ा लगने की जगह :- बेड की दक्षिण दिशा की ढलान के बीच में लगाए जहां ये टुकड़ा पानी लगी खाल में लगना चाहिए।
बीज की मात्रा :- इस विधि से गन्ने की बिजाई करने से कम बीज लगता है। इस से बारह सो पचास (1250) टुकड़े प्रति एकड़ लगते हैं। जिसके लिए डेढ़ से दो क्विंटल बीज ही लगता है। इस विधि से पचासी से पचानवे प्रतिशत बीज की बचत होती है।
गन्ने के साथ अंतराल फसलें :- इस विधि के साथ आप बहुत सारी फसलें अंतराल में बीज सकते हैं। जैसे की आलू ,प्याज ,लहसुन ,गाजर ,शलगम ,मूली ,मेथी ,धनिए ,पालक ,गोभी ,बंद गोभी, ब्रोक्कोली ,सरसों,मटर ,उरद मसरी,मूंग चुकंदर ,टमाटर ,खीरा गेहूं,मक्की जवि गेंदा ,भिंडी ,शिमलामिर्च ,फ्रांसबीन ,हल्दी ,टिण्डा ,छप्पन कदु इतियादी।
नदीन (खरपतवार ) की रोकथाम :- नदीं गुड़ाई निराई से खत्म हो सकता है। लेकिन अगर आप कोई रसायन स्प्रे करना चाहते हैं तो हमसे पूछे किओंकी हर अंतराल फसल को देखते हुए अलग स्प्रे है नहीं तो अंतराल फसल को नुकसान हो सकता है।
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गन्ने के बूटे का न उगना या मर जाना :- इसके लिए आपको एक कोने में पचास बुटे इकठे पौध की शकल में लगने होंगे हो बूटा मर गया या काम हुआ या लेट हुआ या टूट गया तो उसकी जगह पर कोने से बूटा उखाड़ कर वह लगा दें जिस से आपकी फसल ेकदुं अच्छी रहेगी .
गन्ने के बेड को मिट्टी लगाना :- गन्ने की फसल को गिरने से पचने के लिए आपको। उसमे टाइम टाइम पर मिट्टी जरूर लगनी पड़ेगी जिस से पौधे को मजबुती और तत्व मिलते रहेंगे। ये अंतर फसल के बाद अप्रैल मई में लगन चाहिए। कतारों को रोटावेटर से भी साफ़ कर सकते हैं। इस से नदीनो से भी रहत मिलेगी पनि लगन आसान होगा और पानी सिर्फ दो फूल में ही लगेगा बाकि छेह फुट में पनि लगने की जरूरत नहीं है। जिस से समय और पानी और पैसा पउर लबोर सभी की बचत होगी।
कीट और बिमारिओं से रोकथाम:- इसके लिए भी हमारे से टाइम टाइम पे फोटो भेज कर व्हाट्सप्प पर सलाह ले सकते हैं।
गन्ने के बड़ा होने पर उसकी मदर रुट को गन्ने की कटाई से पहले नहीं काटना चाहिए।
इस विधि से आप अच्छा पैसा बचा और बना सकते हैं और आसान तरीके से दिमाग से अच्छी पैदवार ले सकते हैं। जितना जियादा हो सके कुदरती खेती करें रसायनों से बचें अपना और दूसरों की सेहत का भी ख्याल रखें। धन्यवाद
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