Lauki Lagenaria siceraria Disease
लौकी (लजेनेरिया सिसेरिया) में लगने वाले रोगो का प्रभावी नियंत्रण
परिचय:
लजेनेरिया सिसेरिया, जिसे अंग्रेजी में बॉटल गॉर्ड और हिंदी में लौकी के नाम से जाना जाता है, और यह कद्दूवर्गीय परिवार से संबंधित है, भारत में यह एक आम सब्जी है। लौकी का इस्तेमाल परंपरागत रूप से बुखार, खांसी, दर्द और अस्थमा जैसी कई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों में मदद के लिए किया जाता रहा है। इसके फ़ायदों के लिए इसका इस्तेमाल प्राचीन काल से किया जाता रहा है। साथ ही इसे विटामिन बी, सी और अन्य पोषक तत्वों का भी बेहतर स्रोत माना जाता है। यह अपने आकार, बोतल, डंबल या अंडाकार आकार के लिए जाना जाता है।
लौकी भारत में एक बहुत ही महत्वपूर्ण सब्जी की फसल है। भारत में लौकी को, घिया या दूधी के नाम से भी जाना जाता है। लौकी लौकी के पौधे कई और बीमारियों से प्रभावित होता है। यह लगभग सभी खेती की जाने वाली कद्दूवर्गीय किस्म पर होता है। रोग अधिकतर पौधे की प्रतिक्रियाएं सीमित समय तक ही रहती हैं, हालांकि संक्रमित फल भी। पृथ्वी के झड़ने के कारण लौकी के पौधे खराब गुणवत्ता वाले हो सकते हैं।
1 डाउनी मिल्ड्यू रोग (Lauki Lagenaria siceraria Disease)
डाउनी मिल्ड्यू अर्थात कोमल फफूंदी लौकी के पौधे में होने वाली एक गंभीर बीमारी है, जो कि स्यूडो पेरोनोस्पोरा क्यूबेंसिस (Pseudoperonospora cubansis) फंगस के कारण होती है। यह बीमारी लौकी के पौधे को किसी भी बढ़ती अवस्था में प्रभावित कर सकती है। इस रोग के कारण लौकी के पौधे की पत्तियों पर भूरा और पीले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं, फिर यह पत्तियों की शिराओं तक फ़ैल जाता है, जिसके कारण पत्तियां पीली होकर गिर जाती हैं।
नियंत्रण के उपाय
लौकी के पौधे में यह बीमारी नमी की मात्रा और पानी की अनियमितता के कारण होती है, इसलिए पौधे को स्वस्थ रखने के लिए, आपको कुछ उपाय करने चाहिए। लौकी में होने वाले डाउनी मिल्ड्यू रोग के नियंत्रण के उपाय निम्न हैं:-
- इस रोग की रोकथाम के लिए लौकी के पौधे को अधिक पानी देने से बचें।
- पौधे में पानी देते समय पत्तियों को गीला करने से बचें।
- लौकी के पौधे के आस पास हवा का प्रवाह बनाए रखने के लिए पौधे की खराब पत्तियों कीप्रूनिंग करें।
- लौकी उगाते समय रोगमुक्त बीजों को चुनें।
- डाउनी मिल्ड्यू रोग के लक्षण दिखाई देने पर लौकी के पौधे पर जैविक कवकनाशी (fungicide) का स्प्रे करें।
2 पाउडरी मिल्ड्यू रोग
पाउडरी मिल्ड्यू रोग लौकी के पौधे को प्रभावित करने वाला प्रमुख रोग है, जो कि “स्फेरोथेका फुलिजिनिया” (Sphaerotheca fuliginea) कवक के कारण होता है। यह रोग लौकी के पौधे की पत्तियों, तनों और नई विकास वाली सतहों को कवर प्रभावित करता है। इस रोग की शुरुआत में पौधे की पत्तियों में सफ़ेद या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है, फिर जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, पत्तियां भूरी होकर सूख जाती हैं। पाउडरी मिल्ड्यू से प्रभावित पौधे की विकास रुक जाती है और लौकी सही तरीके से विकसित नहीं हो पाती हैं।
नियंत्रण के उपाय
आमतौर पर लौकी के पौधे में यह बीमारी, मौसम के उतार चढ़ाव के कारण होती है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए आप कुछ उपाय अपना सकते हैं। लौकी के पौधे में लगने वाले पाउडरी मिल्ड्यू रोग की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय निम्न हैं:-
- लौकी के पौधे को पूर्ण सूर्यप्रकाश वाले स्थान पर लगाएं।
- लौकी के पौधों के आस पास हवा का प्रवाह ठीक तरह से बनाये रखने के लिए, पौधे के अधिक घने भाग वाली पत्तियों की प्रूनिंग करें। प्रूनिंग के प्रत्येक कट के बाद प्रूनर को कीटाणु मुक्त करें।
- उमस भरी मिट्टी में बीज लगाने से बचें।
- पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लक्षण दिखाई देने पर पौधे की पत्तियों पर 40% दूध और 60% पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
- लौकी के पौधे परनीम के तेल या जैविक कीटनाशक साबुन के घोल का स्प्रे करें।
- नाइट्रोजनइस रोग के प्रति अधिक संवेदनशील होता है, इसलिए पौधे पर नाइट्रोजन युक्त खाद के स्थान पर जैविक खाद का उपयोग करें।
3 सेप्टोरिया लीफ स्पॉट रोग
सेप्टोरिया लीफ स्पॉट मुख्यत लौकी के पौधे की पत्तियों का रोग है, जो “सेप्टोरिया कुकुर्बिटासीरम” (Septoria cucurbitacerum) के कारण होता है। सेप्टोरिया लीफ स्पॉट रोग पहले लौकी के पौधे की पुरानी पत्तियों को और अधिक फैलने पर नई पत्तियों को प्रभावित करता है। इस रोग के कारण पत्तियों की निचली सतह पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, धब्बे बड़े हो जाने पर पत्तियां पीली रंग की होकर मुरझाकर गिर जाती हैं। इस रोग का प्रभाव पौधे के तनों और फूलों पर भी देखा जा सकता है।
नियंत्रण के उपाय
लौकी के पौधे को सेप्टोरिया लीफ स्पॉट से बचाने तथा रोग की रोकथाम के उपाय निम्न हैं:-
- पौधे पर इस रोग के शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर, जैविक कवकनाशी (fungicide) का छिड़काव करें।
- पहले से सेप्टोरिया लीफ स्पॉट रोग से संक्रमित मिट्टी में इस पौधे को न लगाएं।
- इस रोग से संक्रमित हिस्से को काट कर, बचे हुए मलवे को नष्ट कर दें।
- लौकी के पौधे को अधिकपानी देने से बचें, अर्थात जब मिट्टी सूखी हुई दिखे, तभी पौधे को पानी दें।
- पौधे की समय-समय परकटाई-छटाई करते रहें, जिससे पौधे के आसपास हवा का प्रवाह बना रहे।
4 वर्टिसिलियम विल्ट रोग
यह लौकी के पौधे में होने वाला एक कवक रोग है, जो “वर्टिसिलियम डाहलिया” (Verticillium dahlia) कवक के कारण होता है। इस रोग के कारण पौधे की पत्तियां पीली होने के बाद मुरझाकर सूखने लगती हैं और गिर जाती हैं। संक्रमण अधिक बढ़ जाने पर पूरा पौधा प्रभावित हो जाता है, अंततः पौधा मर भी सकता है। वर्टिसिलियम विल्ट के संक्रमण से पौधे की ग्रोथ रुक जाती है। यह रोग ठंडे मौसम के प्रति अधिक अनुकूल होता है।
नियंत्रण के उपाय
- लौकी के पौधे में यह रोग मौसम के उतार चढ़ाव के कारण होता है।
- मध्यम गर्म तापमान होने पर ही लौकी के बीज उगायें करें।
- लौकी के पौधे को उस स्थान या उन पौधों के साथ न लगाएं, जो इस रोग के प्रति अतिसंवेदनशील हों।
- पहले से रोगग्रस्त मिट्टी में इस पौधे के बीज न लगाएं।
- वर्टिसिलियम विल्ट रोग की प्रतिरोधी किस्म को लगाएं
- खरपतवारको कम कर, इस रोग के जोखिम को कम करने के लिए लौकी के पौधे की मल्चिंग करें।
- इस रोग से संक्रमित हिस्से को काट कर नष्ट कर दें, कटाई करते समय प्रत्येक कट के बाद प्रूनर को कीटाणुरहित करें।
5 बैक्टीरियल लीफ स्पॉट रोग
यह लौकी के पौधे में बैक्टीरिया के कारण होने वाली एक गंभीर बीमारी है, जो कि “जेन्थोमोनास कैम्पेस्ट्रिस” (Xanthomonas campestris) के कारण होती है। इस बीमारी का प्रभाव पौधे की पत्तियों, फल और तनों पर होता है। बैक्टीरियल लीफ स्पॉट के कारण पौधे की पत्तियों पर भूरे, काले या पीले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं, धीरे-धीरे यह संक्रमण पूरे पौधे में फ़ैल जाता है। हालांकि बैक्टीरियल लीफ स्पॉट रोग से प्रभावित लौकी के फल खाने योग्य होते हैं।
नियंत्रण के उपाय
बैक्टीरियल लीफ स्पॉट रोग गीले मौसम के दौरान तथा पहले से ही इस रोग से संक्रमित पौधों के माध्यम से फैलता है। इस रोग के संक्रमण को कम करने के लिए, आपको लौकी के पौधे की विशेष देखभाल करनी होगी। लौकी के पौधे को बैक्टीरियल लीफ स्पॉट से बचाने के उपाय निम्न हैं:-
- लौकी के पौधे में पानी डालते समय पत्तियों को गीला न करें।
- पहले से ही बैक्टीरियल लीफ स्पॉट रोग से संक्रमित मिट्टी में पौधों को न लगाएं, बीज लगाने से पहले मिट्टी कीटाणु रहित बना लें।
- यह रोग बीज जनित भी हो सकता है, इसलिए लौकी के रोगप्रतिरोधी किस्म के बीजों को चुनें।
- लौकी के पौधे को गार्डन में, पर्याप्त धूप वाले स्थान पर लगायें।
- इस बीमारी से बचने के लिए लौकी के पौधे को अधिक बार पानी देने से बचें।
- बैक्टीरियल लीफ स्पॉट से संक्रमित लौकी के पौधों पर कॉपर युक्त कवकनाशी का छिड़काव करें।
6 एंगुलर लीफ स्पॉट रोग
यह रोग विशेषकर लौकी की पत्तियों में होने वाला रोग है, जो “स्यूडोमोनास लैक्रिमन” (Pseudomonas lachrymans) बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रोग शुरूआती समय में लौकी के पौधे की पत्तियों पर होता है, संक्रमण बढ़ने पर यह तनों और फूलों को भी प्रभावित करता है। इस रोग के कारण पौधे की पत्तियों की शिराओं के बीच पीले रंग के धब्बे आने लगते हैं और अंततः पत्तियां सूखकर गिर जाती हैं। इस रोग से प्रभावित लौकी के फल भी पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते और गिर जाते हैं।
नियंत्रण के उपाय (Lauki Lagenaria siceraria Disease)
यह रोग संक्रमित मलवे के माध्यम से फैलता है, इस रोग से लौकी के पौधे को बचाने के लिए आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा, जो कि निम्न हैं:-
- रोग संक्रमित मिट्टी यागार्डन की मिट्टी में इस पौधे को न लगाएं, मिट्टी को स्टरलाइज करें।
- गार्डन की अच्छी तरह सफाई करें, जिससे संक्रमण अधिक न फैले।
- इस रोग से संक्रमित पौधे को गार्डन से हटा कर नष्ट कर दें।
- पौधों पर पानी डालते समय पत्तियों को गीला करने से बचें।
- बीज लगाते समय रोगमुक्त बीजों को चुनें।
- लौकी के पौधे को एक ही स्थान पर अधिक बार लगाने से बचें।
Lauki Lagenaria siceraria Disease
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1*शेफाली चौधरी, 2डॉ संदीप कुमार, 2सत्येन्द्र कुमार, 2अवध नारायण, 2रजत कुमार पाठक, 2असलम अंसारी, 2बैजनाथ चौधरी, 2संदीप प्रजापति
कृषि संकाय
1*शोध छात्रा (सब्जी विज्ञान) उद्यान विज्ञान विभाग, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या
2सहायक अध्यापक, बुद्ध महाविद्यालय, रतसिया कोठी, देवरिया
1*Corresponding author: Email: shefalichaudhary8@gmail.com
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