बेंगन की खेती कैसे करें ? Whatsapp Number 9814388969
मौसम और ज़मीन :-
बेंगन गर्मी की फसल है। ठण्ड मैं इसको नुकसान होता है। इसकी फसल के लिए अच्छी जल निकास वाली उपजाऊ ज़मीन ठीक रहती है। इसके लिए मेरा और मध्यम ज़मीन ठीक है। रेतली ज़मीन मैं अगेती फसल ली जा सकती है। अगर ज़मीन कुदरती तौर पर उपजाऊ न हो तो उसमें गोबर खाद डालनी चाहिए।
बेंगन की उन्नत किस्मे :-
गोल बेंगन :- ( पंजाब नीलम ):- ये पौध लगाने के बाद ६५ दिन मैं फूल देने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बूटे माधयम उचे सीधे और कांटा रहित होते हैं। ये किस्म फरबरी और अगस्त मैं लगाने के लिए ठीक है। ये डेढ़ सो क्वेंट /एकर बेंगन देंती है।
पंजाब जमुनी गोल :- ये पौध लगाने के सतरह दिन बाद पहली तुड़वाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके बूटे मध्यम और कांटा रहित होते हैं। इसकी औसत एक सो पचीस क्वेंटल /एकर होता है। इसके फल दूसरी किस्मो से काम काने (खराब ) होते है। ये किस्म बहार ऋतू के लिए अच्छी है।
लम्बूतरे बेंगन :-
बी एच – वन :- इसके फल लम्बे जमुनी रंग के होते हैं। ये फसल बहुत अगेती होती है ये बावन दिन मैं पहली तुड़वाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके फल पे सुंडी का हमला काम होता है। ये फरबरी और अगस्त मैं लगाने के लिए भी अछि है। इसकी औसत झड़ ढाई सो क्वेंटल /एकर है
बी एच – टू :- इसका औसत झड़ दो सो तीस क्वेंटल /एकर। एक फल का वज़न तीन सो ग्राम तक होता है। ये फल भरथा बनाने के लिए अच्छा है। इस्पे सूंडी का हमला काम होता है।
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लम्बे बेंगन :-
पूसा पर्पल लॉन्ग :- ये बेंगन लम्बा और पतला होता है। औसत झड़ साठ से पेह्सत क्वेंटल /एकर निकलता है। अच्छी उपजाऊ जमीन मैं इसका झाड़ सो क्वेंटल से ज्यादा भी हो जाता है। ये किसम सदा बहार है।
पंजाब बरसाती :- ये किस्म पौध लगाने के बाद साठ दिन तक पहली तुड़वाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके पौधे छोटे होते हैं और कटा रहित होते है। औसत झाड़ एक सो चालीस क्वेंटल/एकर है। ये बरसाती मौसम के लिए अच्छी फसल है।
पंजाब सदाबहार :- ये किस्म 75 दिन के बाद तैयार हो जाती है। इसका फल लम्बा और और पतला होता है। इसका औसत झड़ एक सो पचीस क्वेंटल /एकर होता है। ये किस्म गर्मी मैं दोबारा रखने के लिए भी अच्छी है।
छोटे बेंगन :-
पंजाब नगीना :- इस किस्म को फल गुच्छे मैं छोटे अकार मैं लगते हैं। इसकी पहली तुड़वाई पचपन दिन बाद होती है। इसका झाड़ डेढ़ सो क्वेंटल /एकर के करीब निकलता है।
पंजाब मोती :- इसकीpehli तुड़वाई साठ दिन मैं होती है। इसके फल गोल होते हैं। ये पतझड़ से बहार ऋतू के लिए अच्छी है। इसका औसत झड़ एक सो बीस क्वेंटल /एकर है।
बेंगन की बिजाई का ढंग :-
एक एकर के लिए तीन से चार सो ग्राम बीज काफी है।
बेंगन की बिजाई का समय :-
पहली फसल की पौध ओक्टुबर मैं बीजी जाती है। नवंबर मैं बूटे खेती मैं लगाये जाते हैं।
दूसरी फसल की पौध नवंबर मैं बीजी जाती है। और मधय फरबरी मैं पौध खेत मैं लगाई जाती है।
ये पौध ठंड से बचानी होती है।
तीसरी फसल ये पौध फरबरी -मार्च मैं बीजी जाती है। और अप्रैल के मध मैं लगे जाती है।
चौथी फसल ये जुलाई मैं बीजी जाती है। और अगस्त मैं खेती मैं लगाई जाती है।
फासला :- लाइन से लाइन फैसला साठ सेंटीमीटर और बूटे से बूटे का फैसला तीस से पैंतालीस सेंटीमीटर रखें।
खाद :-
दस टन गोबर खाद + पचीस किलो न्यट्रोजन +पचपन किलो यूरिया +पचीस किलो फ़ॉस्फ़ोरस +डेढ़ क्वेंटल सुपर फास्फेट +बारह किलो पोटास +बीस किलो मऊ रेट ऑफ़ पोटास /एकर डालें दूसरी तुड़वाई के बाद पचीस किलो न्यट्रोजन और पचपन किलो यूरिया /एकर के हिसाब से फिर डालें।
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सिंचाई :- पहली सिंचाई पौध लगाने के तुरंत बाद दें। गर्मी मैं पानी का अंतर ज़मीन पे निर्भर करता है वैसे दस से सोलह पानी लगाने चाहिए।
तुड़वाई :- इसकी तुड़वाई हर हफ्ते होनी चाइये।
पौध सुरक्षा :-
बेंगन को कीड़े और बीमारियां लगती है जैसे की जसिड ,फल मैं सुराख़ करना , पते मुरझाना ,जुएं होना स्पाइडर मक्खी , वाइट स्पॉट , फंगस रोग। इसके लिए टाइम पे सलाह लेनी चाहिए। और बीमार पौध को खेत से हटाना चाहिए। इसके लिए मेलथीन पचास ई सी की दो सो पचास मिली लिटिर एक क्वेंटल पानी मैं एक एकर की स्प्रे करें
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