Cauliflower Farming Ful Gobhi Ki Kheti Kaise Karen Hindi informative 4 farmers
Cauliflower Farming Ful Gobhi Ki Kheti Kaise Karen Hindi
Cauliflower Farming
फूलगोभी की खेती कैसे करें ? whatsapp helpline 9814388969
मौसम और ज़मीन :- फूलगोभी हर तरहह की ज़मीन मैं हो सकती है। लेकिन रेतली मेरा ज़मीन में अच्छी पैदावार हो सकती है। फूलगोभी की फसल 6 से 7 पी एच वाली फसल में अच्छी होती है। इसकी काश्त में तापमान का बहुत बड़ा हाथ होता है। इसकी पौध तैयार करने के लिए 23 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए और बाद में 17 से 20 डिग्री होना उत्तम मन जाता है। गरम इलाको में इसकी फसल 35 डिग्री में भी हो सकती है। जबकि ठन्डे एरिया में 15 से 20 डिग्री में भी हो जाती है।
बिजाई का ढंग :- बिजाई और बीज की मात्रा :- पौध उखड कर खेत में लगने के लिए एडवांस फसल जून जुलाई मुख्य मौसम की फसल के लिए अगस्त से मध्य समबर और लेट फसल के लिए ओक्टुबर से नवंबर के पहले सप्ताह तक उत्तम समय होता है। एक एकर फूलगोभी के लिए सभी किस्मों के लिए 250 ग्राम बीज बहुत होता है। एडवांस फसल के लिए 500 ग्राम की सिफारिश की जाती है किओंकी इसके बूटा मरने के चांस जियादा होते हैं। और सिफारिश की गई किस्म ही बीजें और टाइम पर बीजें किओंकी फूल निसरे से बचा रहे।
एडवांस पौध तैयार करते समय अच्छे से गोबर खाद डाले और पनि पर्यापत मात्रा में दें और पौध को छाया में लगाए डायरेक्ट धुप न पड़े। जिस से की कम से कम बुटा मरे। और पौध को ठन्डे मौसम में शाम के समय में उखड कर शाम को ही खेत में लगाए .
बूटे से बूटे का फासला :- एडवांस फसल में 45 बय 45 और बाद की फसल के लिए 45 बाई 30 सेंटीमीटर दूरी रखें। और आप खरपतवार से बचने के लिए मल्चिंग शीट भी लगा सकते हैं।
खादें :- प्रति एकर के हिसाब से डालने के लिए नीचे दी गई खाद डाले :-
40 टन गोबर खाद
50 किलो न्यट्रोजन (100 किलो यूरिया )
25 किलो फ़ॉस्फ़ोरस (150 किलो सुपरफसफेट)
25 किलो पोटाश (40 किलो म्यूरेट पोटाश )
सारी गोबर खाद +सारी फ़ॉस्फ़ोरस +सारी पोटाश +आधी न्यट्रोजन पौध लगने से पहले खेत में डाल दें और अच्छे से मिक्स कर दें। और बाकी की आधी न्यट्रोजन चार हफ्ते बाद डालें।
सिंचाई :- पहली सिंचाई पौध उखाड़ कर लगने के फ़ौरन बाद दें। बाद में गर्मिओं में सप्ताह के बाद और सर्दिओं में 10 से 15 दिन बाद ज़मीन की तासीर के हिसाब से दें। टोटल 8 से 12 सिंचाई की जरूरत है।
खरपतवार नदीन :- खरपतवार की रोकथाम के लिए मुल्चिं भी कर सकते हैं और निराई गुड़ाई भी कर सकते हैं। रसायन न लें किओंकी इस से सेहत को नुक्सान है और ज़मीन को भी।
तुड़वाई :- जब अच्छा फूल बन जाये तोड़ लेना चाहिए नही तो फूल बिखर जाते हैं जिस से मंडी में अच्छे भाव नहीं मिलते। अच्छे गठीले फूल के अच्छे दाम मार्किट में मिलते हैं। साफ़ पैकिंग और फूल को नीचे से पकड़ना चाहिए तँ की फूल खराब न हों।
मल्चिंग शीट से करें खरपतवार (नदीन) का खात्मा और उगाए ज़हर मुक्त सब्जियां और दूसरी फसलें
जैसे किसान भाईओं की पता ही है के मल्चिंग फिल्म से सब्जिओं से खरपतवार नदीं नहीं उगते।
ये एक पोलथिन की तरह की पतली परत होती है जिसको खेत में लाइन में बिछा कर मिटटी से किनारों से धक दें। और फिर थोड़ी सी गली कर के सब्जिओं की वेले और पौधे लगा दें। जिस से सिर्फ पौध ही बढ़ेगा बाकि नदीन नहीं उग पाएंगे।
मल्चिंग शीट लगाने के फायदे :-
1 खेत में पानी जियादा नहीं लगाना पड़ता किओंकी पॉलीथिन पनि को उड़ने नहीं देता और जियादा देर तक नमि बना के रखता है।
2जड़ों में तापमान नियंत्रित रखता है।
3 पौधे को बाहरी रोगों से जड़ों को बचता है। और दुसरे वायरस से फसल को बचत है।
4 अच्छी और साफ़ फसल की पैदावार।
5 फसल की गुणवत्ता बढ़ती है।
6 लेबर की बचत होती है।
7 इस से किसी ज़हरीली स्प्रे की कोई जरूरत नहीं।
8 फ़र्टिलाइज़र का भी सही उपयोग होता है
मल्चिंग किन किन फसलों पर कर सकते हैं
स्ट्रॉबेरी , मिर्ची ,खीरा ,गोभी,पपीता ,करेला ,लोकी , कदु, भिंडी , टमाटर , शिमला मिर्च , तुलसी , इतयादि
मल्चिंग शीट पचीस माइक्रोन ,तीस माइक्रोन , और सो माइक्रोन में आती है। और इसकी लम्बाई पांच मीटर ,दस मीटर ,बीस मीटर ,पचीस मीटर ,पचास मीटर ,सो मीटर ,और चार सो मीटर होती है।
इसको खरीदने के लिए नीचे दिए गए बॉक्स में क्लिक करें और ऑनलाइन बुक करके किसी भी जगह मंगवाए जहां कूरियर की सुविधा हो। ये जिला में बहुत जल्दी पहुंचता है। जबकि तालुका और दुसरे शहरों में थोड़े दिन लगते हैं। आर्डर करने से पहले लम्बाई और माइक्रोन की गुणवत्ता जरूर चेक करें
Note
despite of that if there is any query please feel free contact us or you can join our pro plan with rs 500 Per month , for latest updates please visit our modern kheti website www.modernkheti.com join us on Whatsapp and Telegram 9814388969. https://t.me/modernkhetichanel
Comments are closed.